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महाशिवरात्रि

दिव्य प्रेम की जीती जागती रात्रि

2y ago

तुम्हारा पिता भूतकाल से

'ये जगत अनिश्चितताओं का नीड़ है इसलिए कभी भी घबराना मत'

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“एकांत और अकेलापन”

एकांत में हम घुलते हैं जबकि अकेलापन हमे घोलता है

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पेड़ पे बैठा हाथी

" क्या सोच रहा है ये आखिर?

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यशोधरा

बुद्ध ने संसार को रौशन किया ,क्या यशोधरा की अंधियारी कोठरी जगमग कर पाए?

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गुरु वही जिसका गुरुत्व हो

क्या कहूँ? क्या लिखूं? न शब्द हैं ,न ही योग्यता।

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‘शरण रखो हे नाथ ! ‘

'शरण रखो हे नाथ ! , कातर मन ,चकोर नयन ढूंढे चंदा सी छवि...

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खण्डहर भाग-3

स्कूल और मीठी याद

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खंडहर …(भाग -2)

'किताब और रहस्यमयी संसार'

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25 के हो गए हो…

अब क्या करूँ, उम्र मेरे हाथ मे थोड़ी है जो उसे भी अपने साथ...

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“वेश्या”

'रात के अंधेरे में पर्दा डाल के आते हो,मेरे बदन का पर्दा उठाते हो,पर्दा...